
जब नीरस हो जाए जीवन ,
जब मिठास खो दे मेरा मन ,
तुम करुणा-धारा बन जाना
-बनकर गीत सुधारस आना ।।
कर्मों के कोलाहल काले,
मन के मछुआरों ने डाले-
पलपल मछलीवाले जाले,
पर तुम मेरा साथ निभाना
दबे पांव चुपके से आना।।
-बनकर गीत सुधारस आना।।
पड़ा दीन-हीन गुरु गौरव,
निर्बल,निर्जन,निष्क्रिय,नीरव,
मारक है पीड़ा का रौरव,
शब्दों की संजीवनी लाना।
मरता हूं तुम मुझे जिलाना।।
-बनकर गीत सुधारस आना।।
धूल हो गई अतुल कामना,
हुई अपाहिज वीर-वासना,
विफल हो गई स्वार्थ-साधना,
प्रिय! बिखरे स्वर पुनः सजाना।
तार-तार वीणा पर गाना।।
-बनकर गीत सुधारस आना।।
23-24.05.10
धूल हो गई अतुल कामना,
ReplyDeleteहुई अपाहिज वीर-वासना,
विफल हो गई स्वार्थ-साधना,
प्रिय! बिखरे स्वर पुनः सजाना।
तार-तार वीणा पर गाना।।
-बनकर गीत सुधारस आना।।
अतिसुन्दर
बहुत सुंदर - आभार
ReplyDeletebahut khoobsoorat rachna
ReplyDeleteबहुत भाव पूर्ण गीत है. शब्द, भाषा, लय सब ही कुछ अपनी गति से बढ़ता हुआ इस गीत को एक अद्वितीय संगीत देता सा जान पड़ता है आभार
ReplyDeleteBau jee,
ReplyDeleteJitni samajh aayee, achhi lagi!
Baaki saari raat zor lagaunga, shayad samajh aa jaaye!
Saadar Pranaam!
धूल हो गई अतुल कामना,
ReplyDeleteहुई अपाहिज वीर-वासना,
विफल हो गई स्वार्थ-साधना,
प्रिय! बिखरे स्वर पुनः सजाना।
तार-तार वीणा पर गाना।।
-बनकर गीत सुधारस आना।।
भाव पूर्ण गीत ....!!
बहुत सुन्दर गीत
ReplyDeleteयह पद जानदार
कर्मों के कोलाहल काले,
मन के मछुआरों ने डाले-
पलपल मछलीवाले जाले,
पर तुम मेरा साथ निभाना
दबे पांव चुपके से आना।।
-बनकर गीत सुधारस आना।।
sundar sarthak rachna dhanyavad
ReplyDeletesundar sarthak rachna dhanyavad
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