
एक पल तो बैठने दो आज अपने पास।
स्थगित सब आज कर दूं काम सारे
भूल जाऊं स्वजन परिजन नाम सारे
तुम हो सम्मुख तो भले हों वाम सारे
आज जी-भर देखने को बावली है आस
एक पल तो बैठने दो आज अपने पास।
कंटकों के पथ मिले , चलता रहा
भीड़ का एकांत भी छलता रहा
मैं दिया-सा रात भर जलता रहा
टिमटिमाता था अंधेरे में अटल विश्वास
एक पल तो बैठने दो आज अपने पास।
सागरों की लहर में मैं डूबा उतराया
टूटी नौका से कभी कोई न तट आया
किन्तु अपने आप फागुन कैसे ये छाया
हैं समर्पित गीत सारे तुमको ओ मधुमास !
एक पल तो बैठने दो आज अपने पास।
28.04.10
कंटकों के पथ मिले , चलता रहा
ReplyDeleteभीड़ का एकांत भी छलता रहा
मैं दिया-सा रात भर जलता रहा
टिमटिमाता था अंधेरे में अटल विश्वास
एक पल तो बैठने दो आज अपने पास।
बहुत सुन्दर
बहुत सुन्दर गीत है ! पढकर ही इतना अच्छा लगा ... कोई इसे तरन्नुम में ढाल दे तो गजब हो जायेगा ... इतना सुन्दर समर्पण और प्रेम भाव ... वाह !
ReplyDeleteबहुत ही मन भावन ह्रदयस्पर्शी गीत है
ReplyDeleteआभार
तुम हो सम्मुख तो भले हों वाम सारे
ReplyDeleteआज जी-भर देखने को बावली है आस
....
कंटकों के पथ मिले , चलता रहा
भीड़ का एकांत भी छलता रहा
मैं दिया-सा रात भर जलता रहा
टिमटिमाता था अंधेरे में अटल विश्वास
प्रशंसनीय प्रस्तुति - आभार
हैं समर्पित गीत सारे तुमको ओ मधुमास !
ReplyDeleteएक पल तो बैठने दो आज अपने पास।
बहुत ही शानदार . अत्यंत ही प्रसंशनीय .
www.nareshnashaad.blogspot.com
बहुत सुन्दर और भावमय गीत है दिल को छूने वाली रचना। बधाई और शुभकामनायें
ReplyDeleteमेरे लिए तो बस वो ही दिन है हंसी बहार के
ReplyDeleteतुम सामने बैठी रहो,मैं गीत गाऊँ प्यार के ''
कुछ ऐसे ही मनोभाव छलक आये है इस गीत में.
आये क्यों ना सरे मानव मन,भावनाए समान सी ही तो होती हैं.
आपने लिखा,पर..........क्या हर नेह-भरा मन ये चाहता ना होगा? उपर लिखी सारी पंक्तियाँ मुझे बहुत अच्छी लगी स्थगित सब आज कर दूं काम सारे
भूल जाऊं स्वजन परिजन नाम सारे
तुम हो सम्मुख तो भले हों वाम सारे
आज जी-भर देखने को बावली है आस
एक पल तो बैठने दो आज अपने पास।
एक बात बताऊँ जब ऐसा जी करे ,तो इन पंक्तियों को जी ही लेना चाहिए.लिखना,पढ़ना,जीना एक क्यों नही कर देते हम?
ऐसे ही लिखे जाओ और इन कोमल भावों के एक क्षण के लिए भी हाथ से न जाने देना.
हैं समर्पित गीत सारे तुमको ओ मधुमास !
ReplyDeleteएक पल तो बैठने दो आज अपने पास।
waah
सचमुच बहुत प्यारा गीत है.मन को आहिस्ते से छू गया.बहुत बहुत बधाई.
ReplyDeleteस्थगित सब आज कर दूं काम सारे
ReplyDeleteभूल जाऊं स्वजन परिजन नाम सारे
तुम हो सम्मुख तो भले हों वाम सारे
आज जी-भर देखने को बावली है आस
एक पल तो बैठने दो आज अपने पास।
तसलीम साहब !
दिल को छूता एक एक शब्द
Sach..is rachname geyta hai..koyi gake sunaye to bada suhana lage!
ReplyDeleteएक पल तो बैठने दो आज अपने पास।
ReplyDeleteये एक पंक्ति ही बहुत है मिलन की प्यास को समझने के लिए. जब अथक परिश्रम और इसके बाद बझी किस्मत से यह घड़ी नसीब होती है तो उस मिलन की घड़ी में दिल डूबा हुआ सा रहता है. सिर्फ याद कर कर के जिया नहीं जा सकता. मेरा एक शेर है
"आ के अब तेरी याद में दिल डूबा जाता है
हर वक्त तेरे नाम से कहाँ करार आता है "
yhan hindi tankan kyon naheen ho pa raha? apka rachna sansar adbhut hai. bahut badhaee.
ReplyDelete