
एक पल तो बैठने दो आज अपने पास।
स्थगित सब आज कर दूं काम सारे
भूल जाऊं स्वजन परिजन नाम सारे
तुम हो सम्मुख तो भले हों वाम सारे
आज जी-भर देखने को बावली है आस
एक पल तो बैठने दो आज अपने पास।
कंटकों के पथ मिले , चलता रहा
भीड़ का एकांत भी छलता रहा
मैं दिया-सा रात भर जलता रहा
टिमटिमाता था अंधेरे में अटल विश्वास
एक पल तो बैठने दो आज अपने पास।
सागरों की लहर में मैं डूबा उतराया
टूटी नौका से कभी कोई न तट आया
किन्तु अपने आप फागुन कैसे ये छाया
हैं समर्पित गीत सारे तुमको ओ मधुमास !
एक पल तो बैठने दो आज अपने पास।
28.04.10