Friday, December 4, 2009

गीता एक मनोवैज्ञानिक औषधि


जब जब जीवन में कष्टों की पराकाष्ठा हुई और भारतीय मनीषा जीवन और मृत्यु के बीच आकर खड़ी हुई , गीता ने उसे साहस और सान्त्वना प्रदान की।
गीताकार ने पहले अध्याय से लेकर अंतिम अठारहवें अध्याय तक मनुष्य के वैचारिक आंदोलन ,उद्वेलन , सत्य ओर झूठ के बीच खड़े होने की उलझन को समझने के सैकड़ों आयाम उपस्थिम किए हैं। सैकड़ों वर्षों से सैकड़ों सामाजिक , राजनैतिक और दार्शनिक पुरोधाओं के सम्बल-सूत्र ‘गीता’ बंटती रही है।
आज भी क्या हमारे लिए ‘गीता’ प्रासंगिक नहीं है ? महाभारत के पात्रों ओर उनके धर्म -अधर्म के द्वंद्वों से आज भी हम जाने-अनजाने लड़ रहे हैं।
प्रस्तुत अंक में ‘गीता’ के इन्हीं द्वंद्वों और समाधानों को पद्यानुवाद के रूप में लोकार्पित किया जा रहा है। गंभीर पाठकों से हमें उचित मार्गदर्शन और दिशादर्शन मिलेगा इस विश्वास के साथ....
....‘पांचजंय’ के धर्ता और महाभारत के सूत्रधार को ‘पंचांजलियां.’.प्रत्येक बार पांेच संस्कृत श्लोकों का हिन्दी पद्यानुकरण... प्रथम अघ्र्य , अध्याय -एक

धुतराष्ट्र उवाच

धर्मक्षेत्रेकुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः
मामकाः पाण्वाश्चैव किमकुर्वत संजय! 1.47.1
धृतराष्ट्र:

धर्मभूमि कुरुक्षेत्र में संजय!
हैं एकत्र वीर दुर्दान्त ।
मेरे और पांडुपुत्रों के
मध्य युद्ध के कहो वृत्तांत। 01.47.1

संजय उवाच

दृष्टवा तु पाण्वानीकं व्यूढं दुर्योधनस्तदा
आचार्यमुपसंगम्य राजा वचनमब्रबीत् । 2.47.1


महाराज के व्यग्र प्रश्न पर
बोला दिव्य-दृष्टि संजय ,
मैं तटस्थ भाव से देखूं
सुनें आप भी शांत हृदय। 0.0.1

देखी पांडव-सेना ,देखा
चक्रव्यूह का विनियोजन ,
जाकर गुरु के पास निवेदन
करते है यह दुर्योधन। 02..47.1

पश्यैताम पाण्डुपुत्राणमाचार्य महतीं चमूम्
व्यूढां द्रुपदपुत्रैण तव षिष्येण धीमता । 3.47.1


‘हे आचार्य ! परखिये पहले
पांडव सेना अतिभारी ,
फिर अपने प्रिय शिष्य द्रुपद की
देखें रण की तैयारी। 03.47.1

5 comments:

  1. आपका ये प्रयास अच्छा लगा। हिन्दी मे अनुवाद नये लोगों को अपने ग्रंथों को समझने मे सहायता करेगा ।धन्यवाद्

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  2. बेहतर...
    पर द्वंद और समाधान कहां हैं...
    प्रतीक्षा...

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  3. Ravi ji Dvandva hamare amder hain aur samadhan bhi...geeta to keval refrence book hai . ham aur sabhi log uska apne apne sandarbh mein upyog kar rahein hain.

    प्रस्तुत अंक में ‘गीता’ के इन्हीं द्वंद्वों और समाधानों को पद्यानुवाद के रूप में लोकार्पित किया जा रहा है।
    keval padyanuvad...

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  4. गीता एक मनो वैज्ञानिक औषधि --के लिए बधाई.गीता तो जीवन औषधि भी है आप को बधाई. 09818032913

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  5. Rachna ke kshetradhikar mein yeh bhi ek naya aour taza navachar hai.... badhai...

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